इश्क़ में सब्र आ गया 'आसिम'
और क्या होगा इस कमाल के ब'अद
इश्क़ फूले फलेगा अब शायद
उन के अब्बा के इंतिक़ाल के ब'अद
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ये कहते हैं सभी इस दौर में हर काम मुमकिन है
मर जाए मौलवी तो फ़क़त होगी फ़ातिहा
हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ
कहानी इश्क़-ओ-मोहब्बत की ख़त्म पर आई
एक लीडर ने ये कहा मुझ से
अब कहाँ है वो नश्तरों की बहार
चाँद पर पहुँचा कोई झाँका कोई मिर्रीख़ में
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
दिया नींद ने ऐसा आँखों को धोका
वो हाल है हर एक बशर काँप रहा है
आतंक का माहौल है छाया हुआ दिल पर
आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में