हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ
ज़्यादा ख़ुशी में साँस अटकती ज़रूर है
ख़ुश हो रहा था दूल्हा तो क़ाज़ी ने यूँ कहा
''बुझने से पहले शम्अ भड़कती ज़रूर है''
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सिलसिले ऊँचे ख़यालात से जोड़े हम ने
आतंक का माहौल है छाया हुआ दिल पर
रेट इतने बढ़े हैं जूतों के
क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया
दिल पे अपने चोट खा कर रो दिए
एक लीडर ने ये कहा मुझ से
वो हाल है हर एक बशर काँप रहा है
मर जाए मौलवी तो फ़क़त होगी फ़ातिहा
ज़बान-ए-मादरी पूछी जो इक लड़के से कॉलेज में
आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
अब कहाँ है वो नश्तरों की बहार