है विटामिन की कमी आशिक़ में तेरे इस क़दर
उस को कुछ दिखता नहीं तेरे नज़र आने के ब'अद
खाता है दो कैप्सूल और वो भी इस तरतीब से
''इक तिरे आने से पहले इक तिरे जाने के ब'अद''
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क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया
पहुँचा सियाह-फ़ाम इक आला-मक़ाम पर
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
अगर मिल गई हूर जन्नत में मुझ को
किसी से दिल लगाने में बड़ी तकलीफ़ होती है
दिल पे अपने चोट खा कर रो दिए
इश्क़ में सब्र आ गया 'आसिम'
ये मंज़र देख कर बीवी ने काटा अपने शौहर को
हाथ में पापड़ लिए बैठा था मैं
आतंक का माहौल है छाया हुआ दिल पर
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ