एक लीडर ने ये कहा मुझ से
आज हम पी के बे-हिसाब आए
इक दफ़अ बैठने दो कुर्सी पे
''इस के ब'अद आए तो अज़ाब आए''
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Jaun Eliya
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Rahat Indori
Gulzar
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दास्तान-ए-इश्क़ मैं ने जब कही ससुराल में
है विटामिन की कमी आशिक़ में तेरे इस क़दर
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
पहुँचा सियाह-फ़ाम इक आला-मक़ाम पर
जो आप पर फ़िदा हैं वो मेरे रक़ीब हैं
चाँद पर पहुँचा कोई झाँका कोई मिर्रीख़ में
आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
ऐ शैख़ कंघा करना नहीं ज़ेब देता यूँ
जब हटाई उस ने चेहरे से नक़ाब
क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया
मेरी बीवी ने बना रक्खी है फुटबॉल की टीम