दिया नींद ने ऐसा आँखों को धोका
कि कश्ती लगी दूर जा बहते बहते
वो बैठे रहे रात भर आँख खोले
हमीं सो गए दास्ताँ कहते कहते
Allama Iqbal
Anwar Masood
Habib Jalib
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Gulzar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
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क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया
जब हटाई उस ने चेहरे से नक़ाब
मौत से मिलने गले देख तो आशिक़ तेरे
पहुँचा सियाह-फ़ाम इक आला-मक़ाम पर
वो हाल है हर एक बशर काँप रहा है
एक लीडर ने ये कहा मुझ से
हाथ में पापड़ लिए बैठा था मैं
मर जाए मौलवी तो फ़क़त होगी फ़ातिहा
कहानी इश्क़-ओ-मोहब्बत की ख़त्म पर आई
इश्क़ में सब्र आ गया 'आसिम'
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
सिलसिले ऊँचे ख़यालात से जोड़े हम ने