अब कहाँ है वो नश्तरों की बहार
तंज़ रुख़्सत हुआ 'फ़िगार' के साथ
कुछ भी बाक़ी नहीं है महफ़िल में
शेरवानी गई 'ख़ुमार' के साथ
Mohsin Naqvi
Gulzar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
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ये मंज़र देख कर बीवी ने काटा अपने शौहर को
जब हटाई उस ने चेहरे से नक़ाब
रेट इतने बढ़े हैं जूतों के
ज़बान-ए-मादरी पूछी जो इक लड़के से कॉलेज में
हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ
आतंक का माहौल है छाया हुआ दिल पर
सिलसिले ऊँचे ख़यालात से जोड़े हम ने
कहानी इश्क़-ओ-मोहब्बत की ख़त्म पर आई
ये कहते हैं सभी इस दौर में हर काम मुमकिन है
मुशायरों में हवा हूट जो मुसलसल मैं
अगर मिल गई हूर जन्नत में मुझ को
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है