आतंक का माहौल है छाया हुआ दिल पर
ख़ौफ़ इतना है बाज़ार अकेली नहीं जाती
बंदूक़ से महबूबा है सहमी हुई इतनी
बीमार भी होती है तो गोली नहीं खाती
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
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हाथ में पापड़ लिए बैठा था मैं
मेरी बीवी ने बना रक्खी है फुटबॉल की टीम
सिलसिले ऊँचे ख़यालात से जोड़े हम ने
दिया नींद ने ऐसा आँखों को धोका
हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ
ये कहते हैं सभी इस दौर में हर काम मुमकिन है
मुशायरों में हवा हूट जो मुसलसल मैं
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
इश्क़ में सब्र आ गया 'आसिम'
मौत से मिलने गले देख तो आशिक़ तेरे
दास्तान-ए-इश्क़ मैं ने जब कही ससुराल में
एक लीडर ने ये कहा मुझ से