आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में
आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में
रोज़ है गर्मी-ए-बाज़ार तिरे कूचे में
आ ज़रा देख तू नीचे तो उतर कर ज़ालिम
जम्अ हैं तेरे ख़रीदार तिरे कूचे में
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आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में
रोज़ है गर्मी-ए-बाज़ार तिरे कूचे में
आ ज़रा देख तू नीचे तो उतर कर ज़ालिम
जम्अ हैं तेरे ख़रीदार तिरे कूचे में
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