आसिम पीरज़ादा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आसिम पीरज़ादा
नाम | आसिम पीरज़ादा |
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अंग्रेज़ी नाम | Aasim Pirzada |
ज़बान-ए-मादरी पूछी जो इक लड़के से कॉलेज में
ये मंज़र देख कर बीवी ने काटा अपने शौहर को
ये कहते हैं सभी इस दौर में हर काम मुमकिन है
वो हाल है हर एक बशर काँप रहा है
सिलसिले ऊँचे ख़यालात से जोड़े हम ने
रेट इतने बढ़े हैं जूतों के
क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया
पहुँचा सियाह-फ़ाम इक आला-मक़ाम पर
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
मुशायरों में हवा हूट जो मुसलसल मैं
मेरी बीवी ने बना रक्खी है फुटबॉल की टीम
मौत से मिलने गले देख तो आशिक़ तेरे
मर जाए मौलवी तो फ़क़त होगी फ़ातिहा
मैं ने कहा गधे से मियाँ कुछ पढ़ो लिखो
किसी से दिल लगाने में बड़ी तकलीफ़ होती है
कहानी इश्क़-ओ-मोहब्बत की ख़त्म पर आई
जो आप पर फ़िदा हैं वो मेरे रक़ीब हैं
जब हटाई उस ने चेहरे से नक़ाब
इश्क़ में सब्र आ गया 'आसिम'
हाथ में पापड़ लिए बैठा था मैं
हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ
है विटामिन की कमी आशिक़ में तेरे इस क़दर
गधे के साथ इक लीडर का फोटो
एक लीडर ने ये कहा मुझ से
दिया नींद ने ऐसा आँखों को धोका
दिल पे अपने चोट खा कर रो दिए
दास्तान-ए-इश्क़ मैं ने जब कही ससुराल में
चाँद पर पहुँचा कोई झाँका कोई मिर्रीख़ में
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
ऐ शैख़ कंघा करना नहीं ज़ेब देता यूँ