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बाब-ए-क़फ़स खुलने को खुला है - आसी रामनगरी कविता - Darsaal

बाब-ए-क़फ़स खुलने को खुला है

बाब-ए-क़फ़स खुलने को खुला है

बाहर भी तो दाम बिछा है

उस के सिवा सब भूल गया हूँ

जब से वो मिरे दिल में बसा है

बढ़ने लगी है दिल की धड़कन

शायद उस ने याद किया है

क़ाफ़िले वालो ख़ैर मनाओ

रहज़न ही जब राह-नुमा है

साहिल साहिल भी क्या चलना

मौजों पे सफ़ीना डाल दिया है

अपनी मर्ज़ी अपनी रज़ा क्या

सब से बढ़ कर उस की रज़ा है

आज के इंसाँ की मत पूछो

जैसे ख़ुदा से भी ये बड़ा है

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Bab-e-qafas Khulne Ko Khula Hai In Hindi By Famous Poet Aasi Ramnagri. Bab-e-qafas Khulne Ko Khula Hai is written by Aasi Ramnagri. Complete Poem Bab-e-qafas Khulne Ko Khula Hai in Hindi by Aasi Ramnagri. Download free Bab-e-qafas Khulne Ko Khula Hai Poem for Youth in PDF. Bab-e-qafas Khulne Ko Khula Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Bab-e-qafas Khulne Ko Khula Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.