ज़ख़्म-ए-दिल हम दिखा नहीं सकते
ज़ख़्म-ए-दिल हम दिखा नहीं सकते
दिल किसी का दुखा नहीं सकते
वो यहाँ तक जो आ नहीं सकते
क्या मुझे भी बुला नहीं सकते
वादा भी है तो है क़यामत का
जिस को हम आज़मा नहीं सकते
आप भी बहर-ए-अश्क हैं गोया
आग दिल की बुझा नहीं सकते
उन से उम्मीद-ए-वस्ल ऐ तौबा
वो तो सूरत दिखा नहीं सकते
उन को घूँघट उठाने में क्या उज़्र
होश में हम जो आ नहीं सकते
माँगते मौत की दुआ लेकिन
हाथ दिल से उठा नहीं सकते
उन को दावा-ए-यूसुफ़ी 'आसी'
ख़्वाब में भी जो आ नहीं सकते
(1557) Peoples Rate This