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वापसी - आशुफ़्ता चंगेज़ी कविता - Darsaal

वापसी

अज़िय्यत और इस सुकूँ

दोनों को ही दिल खोल के मैं ने लुटाया है

हज़ारों बार ऐसा भी हुआ है

दोस्तों की रहनुमाई में

फिरा हूँ मारा मारा

शहर की आबाद सड़कों पर

कभी वीरान गलियों में

कभी सहराओं की भी ख़ाक छानी है

मगर इस बार जाने क्या हुआ मुझ को

नुमाइश की दुकानों में

सजा कर ख़ुद को घर वापस चला आया

अभी दरवाज़ा मैं ने खटखटाया था

कि घर वालों ने कीना-तूज़ नज़रों से मुझे देखा

जब उन की आँखों में,

कोई रमक़ पहचान की मैं ने नहीं पाई

तो उल्टे पैरों वापस लौट आया हूँ

और अब ये सोचता हूँ

दोस्तों की रहनुमाई में

उन्हीं गलियों में सहराओं में जा कर

अपने क़दमों के निशाँ ढूँडूँ

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Wapsi In Hindi By Famous Poet Aashufta Changezi. Wapsi is written by Aashufta Changezi. Complete Poem Wapsi in Hindi by Aashufta Changezi. Download free Wapsi Poem for Youth in PDF. Wapsi is a Poem on Inspiration for young students. Share Wapsi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.