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धुआँ उठ रहा है - आशुफ़्ता चंगेज़ी कविता - Darsaal

धुआँ उठ रहा है

धुआँ उठ रहा है

उफ़ुक़ से धुआँ उठ रहा है

समुंदर की साँसें उखड़ने लगी हैं

बहुत धीमी धुन पर

कोई माहिया गा रहा है

हरकत हरकत हरकत हरकत

क़ुआ शल हुए जा रहे हैं

अचानक वो आबी परिंदों को उड़ता हुआ देखते हैं

सभी चीख़ते हैं

तू सुल्तान साहिब सरीर आमदी

अला कुल्ले शयइन क़ादीर आमदी

कलीसा शिवाले मुक़द्दस नदी

अज़ाँ की फुवारों से सारा बदन भीगता है

कोई आँखें फाड़े हुए

कह रहा है

कि वो धुँद के उस तरफ़

रौशनी रौशनी रौशनी रौशनी

सभी चीख़ते हैं

सराए में ताला पड़ा है!

उफ़ुक़ से धुआँ उठ रहा है!!

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Dhuan UTh Raha Hai In Hindi By Famous Poet Aashufta Changezi. Dhuan UTh Raha Hai is written by Aashufta Changezi. Complete Poem Dhuan UTh Raha Hai in Hindi by Aashufta Changezi. Download free Dhuan UTh Raha Hai Poem for Youth in PDF. Dhuan UTh Raha Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Dhuan UTh Raha Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.