Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c01edbb6ebf44a1ca5366b7f571cd6d9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जिस की न कोई रात हो ऐसी सहर मिले - आशुफ़्ता चंगेज़ी कविता - Darsaal

जिस की न कोई रात हो ऐसी सहर मिले

जिस की न कोई रात हो ऐसी सहर मिले

सारे तअ'य्युनात से इक दिन मफ़र मिले

अफ़्वाह किस ने ऐसी उड़ाई कि शहर में

हर शख़्स बच रहा है न उस से नज़र मिले

दुश्वारियाँ कुछ और ज़ियादा ही बढ़ गईं

घर से चले तो राह में इतने शजर मिले

तय करना रह गई हैं अभी कितनी मंज़िलें

जो आगे जा चुके हैं कुछ उन की ख़बर मिले

मुमकिन है आड़े आएँ ज़माना-शनासियाँ

तुम भी हमारी राह में हाइल अगर मिले

क़ज़िया हो मौसमों का न दिन का न रात का

अब के अगर मिले भी तो ऐसा सफ़र मिले

लोगों को क्या पड़ी थी उठाते अज़िय्यतें

सहरा की ख़ाक छानते आशुफ़्ता-सर मिले

(2003) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jis Ki Na Koi Raat Ho Aisi Sahar Mile In Hindi By Famous Poet Aashufta Changezi. Jis Ki Na Koi Raat Ho Aisi Sahar Mile is written by Aashufta Changezi. Complete Poem Jis Ki Na Koi Raat Ho Aisi Sahar Mile in Hindi by Aashufta Changezi. Download free Jis Ki Na Koi Raat Ho Aisi Sahar Mile Poem for Youth in PDF. Jis Ki Na Koi Raat Ho Aisi Sahar Mile is a Poem on Inspiration for young students. Share Jis Ki Na Koi Raat Ho Aisi Sahar Mile with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.