Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1f4bec4d58128af51e02b0f62cd9a196, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे - आशुफ़्ता चंगेज़ी कविता - Darsaal

हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे

हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे

सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे

ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का

सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थे

गुमान था कि समझ लेंगे मौसमों का मिज़ाज

खुली जो आँख तो ज़द पे सभी ठिकाने थे

हमें भी आज ही करना था इंतिज़ार उस का

उसे भी आज ही सब वादे भूल जाने थे

तलाश जिन को हमेशा बुज़ुर्ग करते रहे

न जाने कौन सी दुनिया में वो ख़ज़ाने थे

चलन था सब के ग़मों में शरीक रहने का

अजीब दिन थे अजब सर-फिरे ज़माने थे

(1660) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hawaen Tez Thin Ye To Faqat Bahane The In Hindi By Famous Poet Aashufta Changezi. Hawaen Tez Thin Ye To Faqat Bahane The is written by Aashufta Changezi. Complete Poem Hawaen Tez Thin Ye To Faqat Bahane The in Hindi by Aashufta Changezi. Download free Hawaen Tez Thin Ye To Faqat Bahane The Poem for Youth in PDF. Hawaen Tez Thin Ye To Faqat Bahane The is a Poem on Inspiration for young students. Share Hawaen Tez Thin Ye To Faqat Bahane The with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.