अरक़ जब उस परी के चेहरा-ए-पुर-नूर से टपके

अरक़ जब उस परी के चेहरा-ए-पुर-नूर से टपके

ख़जिल हो गुल से शबनम जूँ लहू नासूर से टपके

मिरी आँखों से ख़ूनीं अश्क यूँ गिरते हैं पलकों पर

लहू सूली के ऊपर जूँ सर-ए-मंसूर से टपके

अगर कैफ़-ए-सुख़न मेरा निहाल-ए-ताक को पहुँचे

सुराही शाख़ बन जावे शराब अंगूर से टपके

अगर उस ज़ुल्फ़-मुश्क-आमेज़ से चुन्नी में बाल आवे

अजब मैं इत्र-ओ-अंबर कासा-ए-नग़फ़ूर से टपके

करूँ फ़रियाद रो रो यार को जब याद कर 'आजिज़'

दम इस्राफ़ील का लोहू हो बाँग-ए-सूर से टपके

(1082) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Araq Jab Us Pari Ke Chehra-e-pur-nur Se Tapke In Hindi By Famous Poet Aarifuddin Aajiz. Araq Jab Us Pari Ke Chehra-e-pur-nur Se Tapke is written by Aarifuddin Aajiz. Complete Poem Araq Jab Us Pari Ke Chehra-e-pur-nur Se Tapke in Hindi by Aarifuddin Aajiz. Download free Araq Jab Us Pari Ke Chehra-e-pur-nur Se Tapke Poem for Youth in PDF. Araq Jab Us Pari Ke Chehra-e-pur-nur Se Tapke is a Poem on Inspiration for young students. Share Araq Jab Us Pari Ke Chehra-e-pur-nur Se Tapke with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.