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ये क़र्ज़ तो मेरा है चुकाएगा कोई और - आनिस मुईन कविता - Darsaal

ये क़र्ज़ तो मेरा है चुकाएगा कोई और

ये क़र्ज़ तो मेरा है चुकाएगा कोई और

दुख मुझ को है और नीर बहाएगा कोई और

क्या फिर यूँही दी जाएगी उजरत पे गवाही

क्या तेरी सज़ा अब के भी पाएगा कोई और

अंजाम को पहुँचूँगा मैं अंजाम से पहले

ख़ुद मेरी कहानी भी सुनाएगा कोई और

तब होगी ख़बर कितनी है रफ़्तार-ए-तग़य्युर

जब शाम ढले लौट के आएगा कोई और

उम्मीद-ए-सहर भी तो विरासत में है शामिल

शायद कि दिया अब के जलाएगा कोई और

कब बार-ए-तबस्सुम मिरे होंटों से उठेगा

ये बोझ भी लगता है उठाएगा कोई और

इस बार हूँ दुश्मन की रसाई से बहुत दूर

इस बार मगर ज़ख़्म लगाएगा कोई और

शामिल पस-ए-पर्दा भी हैं इस खेल में कुछ लोग

बोलेगा कोई होंट हिलाएगा कोई और

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Ye Qarz To Mera Hai Chukaega Koi Aur In Hindi By Famous Poet Aanis Moin. Ye Qarz To Mera Hai Chukaega Koi Aur is written by Aanis Moin. Complete Poem Ye Qarz To Mera Hai Chukaega Koi Aur in Hindi by Aanis Moin. Download free Ye Qarz To Mera Hai Chukaega Koi Aur Poem for Youth in PDF. Ye Qarz To Mera Hai Chukaega Koi Aur is a Poem on Inspiration for young students. Share Ye Qarz To Mera Hai Chukaega Koi Aur with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.