वो कुछ गहरी सोच में ऐसे डूब गया है
वो कुछ गहरी सोच में ऐसे डूब गया है
बैठे बैठे नदी किनारे डूब गया है
आज की रात न जाने कितनी लम्बी होगी
आज का सूरज शाम से पहले डूब गया है
वो जो प्यासा लगता था सैलाब-ज़दा था
पानी पानी कहते कहते डूब गया है
मेरे अपने अंदर एक भँवर था जिस में
मेरा सब कुछ साथ ही मेरे डूब गया है
शोर तो यूँ उट्ठा था जैसे इक तूफ़ाँ हो
सन्नाटे में जाने कैसे डूब गया है
आख़िरी ख़्वाहिश पूरी कर के जीना कैसा
'आनस' भी साहिल तक आ के डूब गया है
(3497) Peoples Rate This