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बाहर भी अब अंदर जैसा सन्नाटा है - आनिस मुईन कविता - Darsaal

बाहर भी अब अंदर जैसा सन्नाटा है

बाहर भी अब अंदर जैसा सन्नाटा है

दरिया के उस पार भी गहरा सन्नाटा है

शोर थमे तो शायद सदियाँ बीत चुकी हैं

अब तक लेकिन सहमा सहमा सन्नाटा है

किस से बोलूँ ये तो इक सहरा है जहाँ पर

मैं हूँ या फिर गूँगा बहरा सन्नाटा है

जैसे इक तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी

आज मिरी बस्ती में ऐसा सन्नाटा है

नई सहर की चाप न जाने कब उभरेगी

चारों जानिब रात का गहरा सन्नाटा है

सोच रहे हो सोचो लेकिन बोल न पड़ना

देख रहे हो शहर में कितना सन्नाटा है

महव-ए-ख़्वाब हैं सारी देखने वाली आँखें

जागने वाला बस इक अंधा सन्नाटा है

डरना है तो अन-जानी आवाज़ से डरना

ये तो 'आनिस' देखा-भाला सन्नाटा है

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Bahar Bhi Ab Andar Jaisa SannaTa Hai In Hindi By Famous Poet Aanis Moin. Bahar Bhi Ab Andar Jaisa SannaTa Hai is written by Aanis Moin. Complete Poem Bahar Bhi Ab Andar Jaisa SannaTa Hai in Hindi by Aanis Moin. Download free Bahar Bhi Ab Andar Jaisa SannaTa Hai Poem for Youth in PDF. Bahar Bhi Ab Andar Jaisa SannaTa Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Bahar Bhi Ab Andar Jaisa SannaTa Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.