आलोक श्रीवास्तव कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आलोक श्रीवास्तव
नाम | आलोक श्रीवास्तव |
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अंग्रेज़ी नाम | Aalok Shrivastav |
जन्म की तारीख | 1971 |
ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं
यही तो एक तमन्ना है इस मुसाफ़िर की
आ ही गए हैं ख़्वाब तो फिर जाएँगे कहाँ
ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं
ये और बात दूर रहे मंज़िलों से हम
ये और बात दूर रहे मंज़िलों से हम
वही आँगन वही खिड़की वही दर याद आता है
तुम्हारे पास आते हैं तो साँसें भीग जाती हैं
तू वफ़ा कर के भूल जा मुझ को
ठीक हुआ जो बिक गए सैनिक मुट्ठी भर दीनारों में
रोज़ ख़्वाबों में आ के चल दूँगा
मुझे सिरे से पकड़ कर उधेड़ देती है
मंज़िल पे ध्यान हम ने ज़रा भी अगर दिया
किसी और ने तो बुना नहीं मिरा आसमाँ मिरा आसमाँ
झिलमिलाते हुए दिन-रात हमारे ले कर
जब भी तक़दीर का हल्का सा इशारा होगा
जब भी तक़दीर का हल्का सा इशारा होगा
हर बार हुआ है जो वही तो नहीं होगा
हमेशा ज़िंदगी की हर कमी को जीते रहते हैं
धड़कते साँस लेते रुकते चलते मैं ने देखा है
अगर सफ़र में मिरे साथ मेरा यार चले