अल्लाह नज़र कोई ठिकाना नहीं आता
अल्लाह नज़र कोई ठिकाना नहीं आता
आने को चले आते हैं जाना नहीं आता
कह दूँ तो मज़े पर ये फ़साना नहीं आता
ठहरूँ तो पलट कर ये ज़माना नहीं आता
यूँ रोज़ हुआ करते थे बे-साख़्ता चक्कर
अब आज बुलाया है तो जाना नहीं आता
तदबीर सी तदबीर दुआओं सी दुआएँ
सब आता है तक़दीर बनाना नहीं आता
(2004) Peoples Rate This