Sharab Poetry of Aal-e-Ahmad Suroor
नाम | आल-ए-अहमद सूरूर |
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अंग्रेज़ी नाम | Aal-e-Ahmad Suroor |
जन्म की तारीख | 1911 |
मौत की तिथि | 2002 |
मय-कशी के भी कुछ आदाब बरतना सीखो
अभी आते नहीं उस रिंद को आदाब-ए-मय-ख़ाना
आज पी कर भी वही तिश्ना-लबी है साक़ी
आज पी कर भी वही तिश्ना-लबी है साक़ी
ज़ंजीर से जुनूँ की ख़लिश कम न हो सकी
सियाह रात की सब आज़माइशें मंज़ूर
ख़्वाबों से यूँ तो रोज़ बहलते रहे हैं हम
ख़याल जिन का हमें रोज़-ओ-शब सताता है
जब्र-ए-हालात का तो नाम लिया है तुम ने
हम बर्क़-ओ-शरर को कभी ख़ातिर में न लाए
हर इक जन्नत के रस्ते हो के दोज़ख़ से निकलते हैं
हमें तो मय-कदे का ये निज़ाम अच्छा नहीं लगता
हमारे हाथ में जब कोई जाम आया है
ग़ैरत-ए-इश्क़ का ये एक सहारा न गया
दिल-दादगान-ए-लज़्ज़त-ए-ईजाद क्या करें
आज से पहले तिरे मस्तों की ये ख़्वारी न थी