Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_30b5b4f44cb3a3d6ee71b39e5877bea2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
लोग तन्हाई का किस दर्जा गिला करते हैं - आल-ए-अहमद सूरूर कविता - Darsaal

लोग तन्हाई का किस दर्जा गिला करते हैं

लोग तन्हाई का किस दर्जा गिला करते हैं

और फ़नकार तो तन्हा ही रहा करते हैं

वो तबस्सुम है कि 'ग़ालिब' की तरह-दार ग़ज़ल

देर तक उस की बलाग़त को पढ़ा करते हैं

कोई जादू कोई जल्वा कोई मस्ती कोई मौज

हम इन्हीं चंद सहारों पे जिया करते हैं

दिन पे यारों को अँधेरे का गुमाँ होता है

हम अँधेरे में किरन ढूँढ लिया करते हैं

बस्तियाँ कुछ हुईं वीरान तो मातम कैसा

कुछ ख़राबे भी तो आबाद हुआ करते हैं

सुनने वालों की है तौफ़ीक़ सुनें या न सुनें

बात कहने की जो है हम तो कहा करते हैं

साहिल ओ बहर के आईन सलामत न रहे

अब तो साहिल से भी तूफ़ान उठा करते हैं

लोग बातों में बहा देते हैं इस दौर का दर्द

और अशआ'र में हम ढाल लिया करते हैं

(1831) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Log Tanhai Ka Kis Darja Gila Karte Hain In Hindi By Famous Poet Aal-e-Ahmad Suroor. Log Tanhai Ka Kis Darja Gila Karte Hain is written by Aal-e-Ahmad Suroor. Complete Poem Log Tanhai Ka Kis Darja Gila Karte Hain in Hindi by Aal-e-Ahmad Suroor. Download free Log Tanhai Ka Kis Darja Gila Karte Hain Poem for Youth in PDF. Log Tanhai Ka Kis Darja Gila Karte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Log Tanhai Ka Kis Darja Gila Karte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.