Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_0afc05f1252801de0a2e6ee6685c1d10, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ख़ुश्क खेती है मगर उस को हरी कहते हैं - आल-ए-अहमद सूरूर कविता - Darsaal

ख़ुश्क खेती है मगर उस को हरी कहते हैं

ख़ुश्क खेती है मगर उस को हरी कहते हैं

कम-निगाही को भी वो दीदा-वरी कहते हैं

फ़िक्र-ए-रौशन को वो शोरीदा-सरी कहते हैं

यानी सूरज को चराग़-ए-सहरी कहते हैं

जो तिरे दर से उठा फिर वो कहीं का न रहा

उस की क़िस्मत में रही दर-बदरी कहते हैं

कितनी बे-रहम है फ़ितरत उन्हें मालूम नहीं

जो उसे कारगह-ए-शीशागरी कहते हैं

हुस्न के बाब में 'अकबर' की सनद काफ़ी है

हम भी हर इक बुत-ए-कमसिन को परी कहते हैं

रूह-ए-सय्यद पे ख़ुदा जाने गुज़र जाएगी क्या

आम अलीगढ़ में हुई कम-नज़री कहते हैं

(1600) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KHushk Kheti Hai Magar Usko Hari Kahte Hain In Hindi By Famous Poet Aal-e-Ahmad Suroor. KHushk Kheti Hai Magar Usko Hari Kahte Hain is written by Aal-e-Ahmad Suroor. Complete Poem KHushk Kheti Hai Magar Usko Hari Kahte Hain in Hindi by Aal-e-Ahmad Suroor. Download free KHushk Kheti Hai Magar Usko Hari Kahte Hain Poem for Youth in PDF. KHushk Kheti Hai Magar Usko Hari Kahte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share KHushk Kheti Hai Magar Usko Hari Kahte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.