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Aagha Akbarabadi Sad In Hindi - Best Sad Of Aagha Akbarabadi Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Sad Poetry of Aagha Akbarabadi

Sad Poetry of Aagha Akbarabadi
नामआग़ा अकबराबादी
अंग्रेज़ी नामAagha Akbarabadi

ज़ाहिदो कअ'बे की जानिब खींचते हो क्यूँ मुझे

दश्त-ए-वहशत-ख़ेज़ में उर्यां है 'आग़ा' आप ही

वो कहते हैं उट्ठो सहर हो गई

तिरे जलाल से ख़ुर्शीद को ज़वाल हुआ

सिक्का-ए-दाग़-ए-जुनूँ मिलते जो दौलत माँगता

शिद्दत-ए-ज़ात ने ये हाल बनाया अपना

सर्व-क़द लाला-रुख़ ओ ग़ुंचा-दहन याद आया

पाँव फिर होवेंगे और दश्त-ए-मुग़ीलाँ होगा

नुमूद-ए-क़ुदरत-ए-पर्वरदिगार हम भी हैं

नमाज़ कैसी कहाँ का रोज़ा अभी मैं शग़्ल-ए-शराब में हूँ

नहीं मुमकिन कि तिरे हुक्म से बाहर मैं हूँ

मुद्दत के बा'द इस ने लिखा मेरे नाम ख़त

मलते हैं हाथ, हाथ लगेंगे अनार कब

मद्दाह हूँ मैं दिल से मोहम्मद की आल का

ख़ुद मज़ेदार तबीअ'त है तो सामाँ कैसा

जीते-जी के आश्ना हैं फिर किसी का कौन है

जा लड़ी यार से हमारी आँख

हमारे सामने कुछ ज़िक्र ग़ैरों का अगर होगा

दिल में तिरे ऐ निगार क्या है

दौर साग़र का चले साक़ी दोबारा एक और

चाहत ग़म्ज़े जता रही है

बुत-ए-ग़ुंचा-दहन पे निसार हूँ मैं नहीं झूट कुछ इस में ख़ुदा की क़सम

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