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Aagha Akbarabadi Love In Hindi - Best Love Of Aagha Akbarabadi Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Love Poetry of Aagha Akbarabadi

Love Poetry of Aagha Akbarabadi
नामआग़ा अकबराबादी
अंग्रेज़ी नामAagha Akbarabadi

सनम-परस्ती करूँ तर्क क्यूँकर ऐ वाइ'ज़

रक़ीब क़त्ल हुआ उस की तेग़-ए-अबरू से

किसी सय्याद की पड़ जाए न चिड़िया पे नज़र

जी चाहता है उस बुत-ए-काफ़िर के इश्क़ में

इन परी-रूयों की ऐसी ही अगर कसरत रही

हाथ दोनों मिरी गर्दन में हमाइल कीजे

हमें तो उन की मोहब्बत है कोई कुछ समझे

देखो तो एक जा पे ठहरती नहीं नज़र

बुत नज़र आएँगे माशूक़ों की कसरत होगी

वो कहते हैं उट्ठो सहर हो गई

तिरे जलाल से ख़ुर्शीद को ज़वाल हुआ

सिक्का-ए-दाग़-ए-जुनूँ मिलते जो दौलत माँगता

शिद्दत-ए-ज़ात ने ये हाल बनाया अपना

सर्व-क़द लाला-रुख़ ओ ग़ुंचा-दहन याद आया

पाँव फिर होवेंगे और दश्त-ए-मुग़ीलाँ होगा

नुमूद-ए-क़ुदरत-ए-पर्वरदिगार हम भी हैं

निगाहों में इक़रार सारे हुए हैं

नहीं मुमकिन कि तिरे हुक्म से बाहर मैं हूँ

मुद्दत के बा'द इस ने लिखा मेरे नाम ख़त

मज़ा है इम्तिहाँ का आज़मा ले जिस का जी चाहे

मलते हैं हाथ, हाथ लगेंगे अनार कब

मद्दाह हूँ मैं दिल से मोहम्मद की आल का

क्या बनाए साने-ए-क़ुदरत ने प्यारे हाथ पाँव

ख़ुद मज़ेदार तबीअ'त है तो सामाँ कैसा

जीते-जी के आश्ना हैं फिर किसी का कौन है

जा लड़ी यार से हमारी आँख

हज़ार जान से साहब निसार हम भी हैं

दिल में तिरे ऐ निगार क्या है

दौर साग़र का चले साक़ी दोबारा एक और

चाहत ग़म्ज़े जता रही है

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