Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a078d378ce729c5a27cff88d637a4ffc, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तिरे जलाल से ख़ुर्शीद को ज़वाल हुआ - आग़ा अकबराबादी कविता - Darsaal

तिरे जलाल से ख़ुर्शीद को ज़वाल हुआ

तिरे जलाल से ख़ुर्शीद को ज़वाल हुआ

तिरे जमाल से महताब को कमाल हुआ

ख़िराम-ए-नाज़ में उन को ये कब ख़याल हुआ

कि दिल किसी का पिसा कोई पाएमाल हुआ

शबाब से तिरी रंगत का तुर्फ़ा हाल हुआ

सपीद जोड़ा जो पहना बदन में लाल हुआ

जो वस्ल-ए-यार की तदबीर की विसाल हुआ

ख़याल ऐश का आया तो इक मलाल हुआ

हिलाल बदर हुआ बदर से हिलाल हुआ

यहाँ कमाल किसी का न बे-ज़वाल हुआ

हज़ारों सैकड़ों पैदा हुए हुए नापैद

न एक दम भी ज़माने को ए'तिदाल हुआ

रक़ीब क़त्ल हुआ उस की तेग़-ए-अबरू से

हराम-ज़ादा था अच्छा हुआ हलाल हुआ

बुतों का ज़ुल्म किसी ने सुना न महशर में

ख़ुदा से भी मिरा झगड़ा न इंफ़िसाल हुआ

किए हैं ख़ूँ से किसी के ये दस्त-ओ-पा रंगीन

शिकार ताज़ा कोई आज क्या हलाल हुआ

जलाया मुझ को तो तुझ को भी लग गया धब्बा

जिगर पे दाग़ मिरे रुख़ पे तेरे ख़ाल हुआ

जो मैं जुनूँ में गया सू-ए-दश्त ऐ 'आग़ा'

तो मुझ को देख के दीवाना हर ग़ज़ाल हुआ

(1824) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tere Jalal Se KHurshid Ko Zawal Hua In Hindi By Famous Poet Aagha Akbarabadi. Tere Jalal Se KHurshid Ko Zawal Hua is written by Aagha Akbarabadi. Complete Poem Tere Jalal Se KHurshid Ko Zawal Hua in Hindi by Aagha Akbarabadi. Download free Tere Jalal Se KHurshid Ko Zawal Hua Poem for Youth in PDF. Tere Jalal Se KHurshid Ko Zawal Hua is a Poem on Inspiration for young students. Share Tere Jalal Se KHurshid Ko Zawal Hua with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.