Friendship Poetry of Aagha Akbarabadi
नाम | आग़ा अकबराबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Aagha Akbarabadi |
तिरे जलाल से ख़ुर्शीद को ज़वाल हुआ
सिक्का-ए-दाग़-ए-जुनूँ मिलते जो दौलत माँगता
शिद्दत-ए-ज़ात ने ये हाल बनाया अपना
नुमूद-ए-क़ुदरत-ए-पर्वरदिगार हम भी हैं
निगाहों में इक़रार सारे हुए हैं
नहीं मुमकिन कि तिरे हुक्म से बाहर मैं हूँ
मुद्दत के बा'द इस ने लिखा मेरे नाम ख़त
मलते हैं हाथ, हाथ लगेंगे अनार कब
क्या बनाए साने-ए-क़ुदरत ने प्यारे हाथ पाँव
ख़ुद मज़ेदार तबीअ'त है तो सामाँ कैसा
जीते-जी के आश्ना हैं फिर किसी का कौन है
जा लड़ी यार से हमारी आँख
हज़ार जान से साहब निसार हम भी हैं
दौर साग़र का चले साक़ी दोबारा एक और