बाबा गाँधी
स्वराज का झंडा भारत में गड़वा दिया गाँधी बाबा ने
दिल क़ौम-ओ-वतन के दुश्मन का दहला दिया गाँधी बाबा ने
उल्फ़त की राह में मर जाना पर नाम जहाँ में कर जाना
ये पाठ वतन के बच्चों को सिखला दिया गाँधी बाबा ने
इक धर्म की ताक़त दिखला कर ज़ालिम के छक्के छुड़वा कर
भारत का लोहा दुनिया से मनवा दिया गाँधी बाबा ने
ऐ क़ौम वतन के परवानो लो अपने फ़र्ज़ को पहचानो
अब जेल से ये पैग़ाम हमें भिजवा दिया गाँधी बाबा ने
चर्ख़े की तोप चला दो तुम ग़ैरों के छक्के छुड़ा दो तुम
ये हिन्द का चक्र-सुदर्शन है समझा दिया गाँधी बाबा ने
नफ़रत थी ग़रीबों से जिन को हैं शाद अछूतों से मिल कर
इक प्रेम-प्याला दुनिया को पिलवा दिया गाँधी बाबा ने
गिर्दाब में क़ौम की कश्ती थी तूफ़ान बपा थे आफ़त के
नेशन का बेड़ा साहिल पर लगवा दिया गाँधी बाबा ने
भगवान भगत ने हिम्मत की इक प्रेम-ज्वाला जाग उठी
करवा कर शीर-ओ-शकर सब को दिखला दिया गाँधी बाबा ने
हँस हँस कर क़ौम के बच्चों ने सीनों पर गोलियाँ खाई हैं
भारत की रह में मर मिटना सिखला दिया गाँधी बाबा ने
ग़ैरों के झानसों में आना दुश्वार है हिन्द के लालों को
आँखों से ग़फ़लत का पर्दा उठवा दिया गाँधी बाबा ने
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