Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_3f171f859c97cac7a2927706c077e0e8, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
रास्ते सिखाते हैं किस से क्या अलग रखना - आदिल रज़ा मंसूरी कविता - Darsaal

रास्ते सिखाते हैं किस से क्या अलग रखना

रास्ते सिखाते हैं किस से क्या अलग रखना

मंज़िलें अलग रखना क़ाफ़िला अलग रखना

बअ'द एक मुद्दत के लौट कर वो आया है

आज तो कहानी से हादिसा अलग रखना

जिस से हम ने सीखा था साथ साथ चलना है

अब वही बताता है नक़्श-ए-पा अलग रखना

कूज़ा-गर ने जाने क्यूँ आदमी बनाया है

उस को सब खिलौनों से तुम ज़रा अलग रखना

लौट कर तो आए हो तजरबों की सूरत है

पर मिरी कहानी से फ़ल्सफ़ा अलग रखना

तुम तो ख़ूब वाक़िफ़ हो अब तुम्ही बताओ ना

किस में क्या मिलाना है किस से क्या अलग रखना

ख़्वाहिशों का ख़म्याज़ा ख़्वाब क्यूँ भरें 'आदिल'

आज मेरी आँखों से रत-जगा अलग रखना

(2016) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Raste Sikhate Hain Kis Se Kya Alag Rakhna In Hindi By Famous Poet Aadil Raza Mansoori. Raste Sikhate Hain Kis Se Kya Alag Rakhna is written by Aadil Raza Mansoori. Complete Poem Raste Sikhate Hain Kis Se Kya Alag Rakhna in Hindi by Aadil Raza Mansoori. Download free Raste Sikhate Hain Kis Se Kya Alag Rakhna Poem for Youth in PDF. Raste Sikhate Hain Kis Se Kya Alag Rakhna is a Poem on Inspiration for young students. Share Raste Sikhate Hain Kis Se Kya Alag Rakhna with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.