पस-ओ-पेश
सिमट आए हैं
सातों समुंदर
एक क़तरे में
जिस में
सिमट आए थे
सातों आसमान
वो क़तरा
अब टपकना चाहता है
पलकों से
मुझे ये फ़िक्र
ज़मीं के बत्न को इतनी क़ुव्वत कौन बख़्शेगा
(1718) Peoples Rate This
सिमट आए हैं
सातों समुंदर
एक क़तरे में
जिस में
सिमट आए थे
सातों आसमान
वो क़तरा
अब टपकना चाहता है
पलकों से
मुझे ये फ़िक्र
ज़मीं के बत्न को इतनी क़ुव्वत कौन बख़्शेगा
(1718) Peoples Rate This