Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_3923bd12bbdd8d47c74cfa57b56a0f10, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वहाँ शायद कोई बैठा हुआ है - आदिल रज़ा मंसूरी कविता - Darsaal

वहाँ शायद कोई बैठा हुआ है

वहाँ शायद कोई बैठा हुआ है

अभी खिड़की में इक जलता दिया है

मिरा दिल भी अजब ख़ाली विया है

किसी की याद ने जिस को भरा है

परिंदे शाख़ से लिपटे हुए हैं

ये कैसा ख़ौफ़ ख़ेमा-ज़न हुआ है

मिरी ख़ामोशियों की झील में फिर

किसी आवाज़ का पत्थर गिरा है

मोहब्बत का मुक़द्दर देखते हो

हवा ने कुछ तो पानी पर लिखा है

उसी पर खुल रहे हैं सारे मौसम

जो अपने घर से बाहर आ गया है

चराग़ो अब ज़रा अपनी सुनाओ

हवा का काम पूरा हो चुका है

मोहब्बत फिर वहीं ले आई 'आदिल'

ये जंगल बार-हा देखा हुआ है

(1881) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Wahan Shayad Koi BaiTha Hua Hai In Hindi By Famous Poet Aadil Raza Mansoori. Wahan Shayad Koi BaiTha Hua Hai is written by Aadil Raza Mansoori. Complete Poem Wahan Shayad Koi BaiTha Hua Hai in Hindi by Aadil Raza Mansoori. Download free Wahan Shayad Koi BaiTha Hua Hai Poem for Youth in PDF. Wahan Shayad Koi BaiTha Hua Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Wahan Shayad Koi BaiTha Hua Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.