शबाब आ गया उस पर शबाब से पहले
शबाब आ गया उस पर शबाब से पहले
दिखाई दी मुझे ता'बीर ख़्वाब से पहले
जमाल-ए-यार से रौशन हुई मिरी दुनिया
वो चमकी दिल में किरन माहताब से पहले
दिल-ओ-निगाह पे क्यूँ छा रहा है ऐ साक़ी
ये तेरी आँख का नश्शा शराब से पहले
न पेश नामा-ए-आमाल कर अभी ऐ 'जोश'
हिसाब कैसा ये रोज़-ए-हिसाब से पहले
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