गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन

गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन

ऐसा लगा बसर हुए जन्नत में चार दिन

उम्र-ए-ख़िज़र की उस को तमन्ना कभी न हो

इंसान जी सके जो मोहब्बत में चार दिन

जब तक जिए निभाएँगे हम उन से दोस्ती

अपने रहे जो दोस्त मुसीबत में चार दिन

ऐ जान-ए-आरज़ू वो क़यामत से कम न थे

काटे तिरे बग़ैर जो ग़ुर्बत में चार दिन

फिर उम्र भर कभी न सुकूँ पा सका ये दिल

कटने थे जो भी कट गए राहत में चार दिन

जो फ़क़्र में सुरूर है शाही में वो कहाँ

हम भी रहे हैं नश्शा-ए-दौलत में चार दिन

उस आग ने जला के ये दिल राख कर दिया

उठते थे 'जोश' शोले जो वहशत में चार दिन

(2660) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Guzre Jo Apne Yaron Ki Sohbat Mein Chaar Din In Hindi By Famous Poet A G Josh. Guzre Jo Apne Yaron Ki Sohbat Mein Chaar Din is written by A G Josh. Complete Poem Guzre Jo Apne Yaron Ki Sohbat Mein Chaar Din in Hindi by A G Josh. Download free Guzre Jo Apne Yaron Ki Sohbat Mein Chaar Din Poem for Youth in PDF. Guzre Jo Apne Yaron Ki Sohbat Mein Chaar Din is a Poem on Inspiration for young students. Share Guzre Jo Apne Yaron Ki Sohbat Mein Chaar Din with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.